Motivation in Hindi |प्रेरणा |लक्ष्य |प्रतिभा|

Motivation in Hindi

Motivational-Encouraging Topic-Ideas |For Students|

अपने अंदर के सबसे अच्छे हुनर को कैसे पहचाने:

जिस चीज़ मे आपकी रुचि(दिलचस्पी) सबसे अधिक है वही आपका असली हुनर है। या आप कह सकते हैं हुनर या टैलंट ऐसा हो जिसमे आपकी रुचि सबसे अधिक हो।
अब बात आती है कि आपकी रुचि किन-किन चीजों मे सबसे अधिक है ? आप स्वयं से यह प्रश्न करे जवाब आपको मिल जाएगा।

Motivation in Hindi हुनर इंसान के अंदर कई सारे हो सकते हैं आप उन चीजों की एक सूची अर्थात List बनाइये जिसमे आपकी रुचि अधिक हो फिर विचार करें कि आपकी किस चीज़ मे रुचि सबसे अधिक है और उस काम को आप अपना बेहतर हुनर समझ सकते हैं ।

उदाहरण: एक व्यक्ति के पास हुनर है कि;
(A)•वह एक घंटे मे 500 लोगों का खाना तैयार कर सकता है।
(B)•वह साइकिल 40 km/h की रफ्तार से चला सकता है।
(C)•वह 80 शब्द प्रति-मिनट की रफ्तार से टायपिंग कर सकता है।

काम A को वह शौक के रूप मे करता है लेकिन उसकी उस काम मे दिलचस्पी कम है।
काम B को करने मे भी उसकी दिलचस्पी कम है उसे बोरियत महसूस होती है ।
काम C को करने मे उसे बड़ा मजा आता है टायपिंग मे उसका मन लगता है।
इस उदाहरण के हिसाब से इस व्यक्ति का असली हुनर टायपिंग है।

Self Motivation How to improve your skills


अपने हुनर को बेहतर कैसे करें:

Motivation in Hindi आप अपने हुनर को निम्न तरीकों से बेहतर कर सकते हैं-
नियमित अभ्यास: यदि आप ऐसा करते हैं तो आप अपने हुनर को पहले से बेहतर कर सकते हैं। यहाँ नियमित शब्द की बात कही गई अर्थात आपके अभ्यास मे निरंतरता दिखनी चाहिए वहाँ किन्तु,परंतु के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

अपना ज्ञान और बढ़ाएँ: आपका हुनर जिस भी क्षेत्र से संबन्धित है उस क्षेत्र के बारे मे और अधिक जानने का प्रयास करें। कभी-कभी जानकारी और ज्ञान के अभाव के कारण हम बहुत-सी चीजें नहीं जान पाते जो जरूरी होती हैं। आप अपने क्षेत्र से संबन्धित लोगो को देखें उनका अनुसरण करें उनसे सीखने का प्रयास करें कि वो चीजों को कैसे करते हैं। ऐसा करके आप खुद को बेहतर बना सकते हैं।

जो लोग नया काम नई चीज़ सीखना चाहते हैं: यदि आप नया काम सीखना चाहते है तब भी आप यह सुनिश्चित कर ले कि आपकी उसमे दिलचस्पी है कि नहीं । यदि आपकी उस काम मे रुचि होगी तो आप को काम करने मे मजा आएगा और आपकी सफलता की संभावना भी अधिक होगी। किसी काम को अच्छे ढंग से या अनोखे ढंग से कर दिया जाए तो वह हुनर बन जाता है।

Positive Motivation

याद रखिए:
हमे जो कामयाबी या सफलता मिलती है उसमे मुख्यतः
• ज्ञान,
• विचार,सोंच और समझ ,
• लक्ष्य,
• प्रयास,
• परिश्रम,
• निरंतरता,
संघर्ष,
• विश्‍वास,
अवसर

आदि महत्वपूर्ण तत्व विद्यमान होते हैं। और कई सारे तत्व हो सकते हैं लेकिन ये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए कामयाबी के लिए आपको उपरोक्त चीजों पर भी ध्यान देना पड़ता है। बिना इन सब के क्या किसी को सफलता मिली है? विचार करके देखिये


ध्यान दीजिए इसमे यहाँ हुनर को स्थान नहीं दिया है क्यों ? हुनर आपके काम को आसान बनाता है सफलता की दर को बढ़ा सकता है लेकिन शायद सफलता की गारंटी नहीं बन सकता ! अगर आपके पास सिर्फ हुनर है और उपरोक्त चीजों का अभाव है तो क्या आप कामयाबी हांसिल कर लेंगे ?


चीजों को और विस्तार से समझते हैं:
ज्ञान: तथ्यों को जानना ज्ञान है यह कम या ज्यादा हो सकता है यह एक अलग विषय है। यदि आपके पास ज्ञान है (वह किसी भी क्षेत्र या विषय पर हो सकता है) तभी आप उससे संबन्धित विषय पर विचार कर सकते हैं ।

विचार, सोंच और समझ: ये तीन शब्द हैं तीनों अपने मे अलग हैं ज्यादा गहराई मे ना जाते हुए पहले आप थोड़ा-सा इनके बारे मे समझ लीजिये जब हम किसी चीज को पहली बार देखते हैं तब मन मे विचार आता है उस विचार से नए विचार जुडते चले जाते हैं जिससे विचारों की एक श्रंखला बन जाती है

विचारों की श्रंखला को हम सोंच कहते हैं

किसी विषय पर जो भी ज्ञान आपके पास है उसका सही उपयोग करना हमारी समझ है अर्थात तथ्यों का सही उपयोग करना और उनके आधार पर सही निर्णय लेना समझ है।

इसे आप उदाहरण से समझें
• किसी व्यक्ति को लकड़ी के बारे मे ज्ञान का होना (यहाँ लकड़ी को एक विषय मान लीजिये)
• फिर मन मे विचार आना और सोंच विकसित होना कि झोपड़ी बनाई जाए
• लेकिन झोपड़ी को कहाँ बनाया जाए जो सुरक्षित रहे यह उसकी समझ है ।

सीधे शब्दों मे कहें तो अपने विचार और सोंच को सही दिशा मे ले जाना हमारी समझ है। अपने ज्ञान का सही प्रयोग करना, चीजों के बीच तालमेल बैठाना, कार्य को सुनियोजित ढंग से करना ये सब चीजें समझ के कारण होती हैं। इसलिए कामयाबी के लिए हमारे अंदर विचार और सोंच के साथ सही समझ का होना भी जरूरी है।

लक्ष्य: सबसे महत्वपूर्ण तो लक्ष्य ही है अगर लक्ष्य नहीं होगा तो पता कैसे चलेगा कि हम हांसिल क्या करना चाहते हैं । लक्ष्य एक मंजिल की तरह है जहां आपको पहुँचना है इसलिए यह जरूरी है की हम अपने जीवन मे लक्ष्य का निर्धारण करें । अगर यह लक्ष्य आपके ज्ञान और हुनर के अनुरूप है तो आप इसे आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

प्रयास: अब आपके पास ज्ञान है सोंच-विचार करने और समझने की क्षमता है और आपने एक लक्ष्य भी बना लिया है अब आपको उस लक्ष्य को हांसिल करने के लिए प्रयास करना पड़ता है । आपके लक्ष्य प्राप्ति हेतु बढ़ाया गया कदम अथवा किया गया कोई भी कार्य आपका प्रयास माना जाता है जो की जरूरी है।

परिश्रम: किसी भी कार्य को पूरा करने में हमारे जो प्रयास लगते हैं उसे परिश्रम कह सकते हैं।परिश्रम मानसिक एवं शारीरिक हो सकता है परिश्रम में हमारे कई प्रयास शामिल होते हैं। आप जितना ज्यादा प्रयास करेंगे अथवा परिश्रम करेंगे आपके सफल होने की दर भी उतनी ही ज्यादा होगी।

निरंतरता: लक्ष्य प्राप्ति मे निरंतरता भी बड़ी अहम भूमिका निभाता है यदि आप प्रयास करना बंद कर देते हैं या रुक-रुक के प्रयास करते हैं। जब जरूरत हो और आप प्रयास ना करें तो इससे निरंतरता मे बाधा पहुँचती है इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने प्रयासों को सही समय अंतराल पर करते रहें।

संघर्ष: जहां चीजें आसानी से हांसिल नहीं होती वहाँ हमारे प्रयास संघर्ष मे बदल जाते हैं। हमारा संघर्ष किसी भी चीज को लेकर हो सकता है यह हमारे कार्य क्षेत्र और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। जब हम किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे सामने जटिल समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं इन समस्याओं से लड़ना-जूझना हमारा संघर्ष कहलाता है। ये समस्याएँ सबके साथ अलग-अलग हो सकती हैं।

उदाहरण:
एक व्यक्ति सोंच-विचार कर अपनी रुचि के अनुसार मिठाई की दुकान खोलना चाहता है (जो कि उसका लक्ष्य है) इस दुकान को खोलने के लिए उसने प्रयास आरंभ कर दिये और दिन रात परिश्रम करने लगा

दुकान का लगभग 80 प्रतिशत काम हो जाने के बाद उसके पास पूंजी कम पड़ जाती है । अब उसे अतिरिक्त पूंजी जुटाने के लिए प्रयास करना पड़ेगा। प्रयास करने बाद अगर उसे आसानी से पूंजी नहीं मिलती तो उसके प्रयास संघर्ष मे परिवर्तित हो जाएँगे। संघर्ष किसी भी रूप मे किसी भी चीज को लेकर हो सकता है ।

विश्‍वास: हमारे अंदर यह भरोसा होना चाहिए कि जो भी हम कर रहें है उसमे हमें कामयाबी मिलेगी। अपने अंदर विश्वास को स्थिर रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है।

अवसर: कामयाबी के लिए अवसर भी बहुत जरूरी है सही समय पर सही अवसर को पहचान कर उसका लाभ उठाना चाहिए।

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