संघर्ष | Self Motivation | सफलता

सफलता में हमारा संघर्ष

Motivation in Hindi

संघर्ष: संघर्ष ही जीवन है या कह लीजिये जीवन ही संघर्ष है। जब कोई व्यक्ति सफल होता है या सफलता की ओर अग्रसर होता है तो इस क्रम मे उसे कई सारे उतार चढ़ाव देखने को मिलते हैं ये उतार चढ़ाव संघर्ष का हिस्सा होते हैं। जब चीजें हमें आसानी से प्राप्त नहीं होती तो हम संघर्ष करने लगते हैं अर्थात जब हमारे द्वारा किए गए प्रयासों से हमे सफलता नहीं मिलती तो हमारे प्रयास संघर्ष मे बदल जाते हैं। संघर्ष किसी भी रूप मे हो सकता है ये हमारी परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि हमारा संघर्ष किस तरह का है और किस रूप मे है।

सफलता के क्रम मे बात की जाये तो संघर्ष के लिए कई सारी चीजें जिम्मेदार होती हैं या हो सकती हैं।
संसाधनो का अभाव (हमारे दैनिक जीवन मे आने वाली सभी जरूरी चीजें):

जब हमारे मन मे कोई लक्ष्य होता है और उसे हम पाना चाहते हैं उस अवस्था मे संसाधन की कमी या अभाव बहुत बड़ी चुनौती बन जाती है, ये अभाव संघर्ष के लिए जिम्मेदार होते हैं।
धन का अभाव:
ज़्यादातर लोग जो कुछ नया करने के इच्छुक होते हैं उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती पूंजी की ही होती है। पूंजी की व्यवस्था करना लगभग सभी के लिए चुनौतीपूर्ण होता है।

जानकारी का अभाव:
कभी-कभी जानकारी का अभाव भी इंसान को संघर्ष के लिए मजबूर कर देता है। चूंकि जिस कार्य को वह करना चाहता है उस विषय पर उसे जानकारी कम होती है या नहीं होती है जिससे वह अपने कार्य को सुनियोजित ढंग से नहीं कर पाता और उसके कार्य मे कठिनाइयाँ आने लगती हैं जिससे उसके प्रयास संघर्ष मे परिवर्तित होने लगते हैं। Self Motivation जब हम किसी कार्य को करने के बारे मे सोंचते है तो शुरुआत मे हमे ऐसा प्रतीत होता है कि हम इस कार्य को पूरा कर लेंगे लेकिन काम करने के दौरान हमें अपनी कमियों का अहसास होने लगता है ऐसा होना स्वाभाविक है, जब कार्य हमारे द्वारा पहली बार किया जा रहा हो। जो काम आप रोज करते हैं या आपने उसे पहले कभी किया हो तो आपको वह कार्य करने मे सरलता होती है और ऐसा हमारे पूर्व अनुभवों के कारण होता है जो हमे उस काम को करने के दौरान प्राप्त हुए होते हैं।

आप विचार करके देखिये:
आप रोज अपने घर कि सीढ़ियों से चढ़ते-उतरते हैं शायद ही आपको असहजता होती हो लेकिन यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के घर जाये जहां आप कभी ना गए हों तब आप उसके घर कि सीढ़ियाँ चढ़ते हुए असहज महसूस करेंगे।

जब हम किसी भी काम को करते हैं या कर रहे होते हैं तब परिस्थितियों से जो परिस्थिति बनती है उनसे तो संघर्ष करना पड़ता है, इसके अलावा हमारा स्वभाव और हमारी कमियाँ: हमारे अंदर की कमियाँ और स्वभाव भी हमारे संघर्ष के लिए जिम्मेदार होती हैं।
जैसे – झिझक, अतिआत्मविश्वास, अहंकार, आलस्य, क्रोध आदि ये हमारे अंदर के ऐसे विकार हैं जो हमारे अंदर जीवन के अंत तक रहती हैं जिनकी वजह से हमे नुकसान उठाना पड़ता है।

एक किस्सा पढ़िये पता नहीं इस आर्टिक्ल मे इसकी जगह है की नहीं फिर भी पढ़ लीजिए-

एक गाँव मे एक व्यक्ति रहता था जिसका नाम भूरेलाल था वह अधेड़ उम्र का हो चुका था उसमे शुरू से ही बहुत ही अकड़ थी लेकिन आधी से ज्यादा उम्र बीत जाने के बाद भी उसकी अकड़ समाप्त नहीं हुई। गाँव मे ऐसा कोई इंसान नहीं बचा था जिससे उसकी कभी बहस ना हुई हो। उस व्यक्ति मे इतनी अकड़ क्यों थी कोई नहीं जानता था। एक दिन की बात है गर्मियों का मौसम था गाँव के लोग एक बड़े छायादार पेड़ के नीचे बैठे थे। भूरेलाल भी वहाँ सभी के साथ मौजूद था, देखते ही देखते भूरेलाल की वहाँ मौजूद एक नौजवान से किसी बात पर बहस हो जाती है और भूरेलाल इतना क्रोधित हो जाता है कि वह एक जोरदार मुक्का उस नौजवान की पीठ पर दे मारता है, नंगी पीठ पर मुक्का खाकर नौजवान बेसुध हो जाता है कुछ देर बाद नौजवान अपने आप को संभालता है और कहता है, “चाचा तुम मर जाओगे तब भी तुम्हारी अकड़ नहीं जाएगी” इतना कहकर घर की ओर चला जाता है। कुछ महीने बीतते हैं एक दिन खबर आती है की भूरेलाल नहीं रहे। गाँव के सभी लोग गिले-शिकवे भुलाकर भूरेलाल के अंतिम दर्शन के लिए उसके घर जाते हैं । घर पहुंचे लोगों को कुछ अनोखा ही नजारा देखने को मिला जो शायद उन्होने पहले कभी नहीं देखा था। भूरेलाल की आंखे मरने के बाद भी घूर रहीं थी एक हाथ बहस की मुद्रा मे ऊपर की ओर खड़ा था। शरीर से भूरेलाल की आत्मा तो निकल गई लेकिन अकड़ मरने के बाद भी शरीर पर अपनी छाप छोड़ गई।

कमियाँ हम सभी के अंदर होती हैं ! कमियाँ जब चरम पर पहुँच जाती हैं तो हमारे लिए मुसीबत पैदा करती हैं इसलिए अपने अंदर की कमियों को कम रखना चाहिए। कमियों के बारे मे बात करे तो एक कमी और है वह है

भय:
जब हम कोई भी काम करने के लिए योजना बनाते हैं तो हमारे मन मे कई सारे डर अपना घर बनाने लगते है कि हम कामयाब होंगे अथवा नहीं, लोग कहीं हमारी आलोचना ना करने लगे इत्यादि । ऐसा हमारे अंदर विश्वास की कमी के कारण होता है। अपना कर्म करते रहिए फल मिलेगा या नहीं यह समय पर छोड़ दीजिये। अगर आपके किए गए प्रयासों मे डर नजर आएगा तो प्रयास संघर्ष मे बदल जाएँगे।

झिझक:
यह भी कम विश्वास के कारण हमारे अंदर पनपती है जब झिझक ज्यादा बढ़ जाती है तो डर बन जाती है। इंसान का शर्मीला स्वभाव झिझक के कारण होता है। Self Motivation प्रायः देखा जाता है जब एक व्यक्ति नौकरी हेतु साक्षात्कार (interview) के लिए जाता है तब उसकी झिझक उसकी काबिलियत पर भारी पड़ जाती है। Interview एक अवसर की तरह होता है और वह व्यक्ति इन कमियों के कारण इस अवसर को खो देता हैं। यह बहुत ही छोटी-सी दिखने वाली कमी है जो व्यक्ति के संघर्ष का कारण बन जाती है।

इसको एक उदाहरण से समझिए:

दो व्यक्ति जो कि एक ही गाँव के रहने वाले थे जिसमे एक व्यक्ति जिसका नाम सुंदर था बहुत काबिल था लेकिन उसके अंदर झिझक और शर्मीलापन था, दूसरा व्यक्ति जिसका नाम मोती था पहले व्यक्ति की अपेक्षा उतना काबिल नहीं था लेकिन उसमे झिझक और शर्मीलापन बिल्कुल नहीं था। दोनों गाँव से शहर कमाने के लिए आये और रोड का निर्माण करने वाले ठेकेदार के पास मजदूरी करने लगे। ठेकेदार के पास काम बहुत ज्यादा था इसलिए ठेकेदार परेशान रहता था वहाँ काम करने वाले सभी मजदूरों को यह बात पता थी। एक दिन मोती ने अपने ठेकेदार से उसकी परेशानी का कारण पूछा तो ठेकेदार ने बताया कि उसके पास कई साइट है जहां काम चल रहा है वह अकेले होने के कारण सभी जगह ध्यान नहीं दे पाता और उसने आगे बताया कि उसका एक ईमानदार मुंशी था जिसका हाल ही मे निधन हो गया जब तक वह था उसको ज्यादा परेशानी नहीं होती थी। मोती वाक्पटुता सम्पन्न व्यक्ति था उसने बेझिझक अपने ठेकेदार से कहा कि, “अगर आप चाहें तो मैं आपके मुंशी कि जगह ले सकता हूँ” और ठेकेदार ने हाँ कह दिया। मोती अब मजदूर से मुंशी बन गया। जबकि सुंदर की काबिलियत मोती से ज्यादा थी लेकिन झिझक और शर्मीले स्वभाव के कारण वह कभी ठेकेदार से बात नहीं कर सका और उसने एक अवसर खो दिया।

अंत मे इतना ध्यान रखिए कि जब हम किसी चीज को लेकर संघर्ष करते हैं चाहे हम संसाधनों कि कमी की वजह से संघर्ष कर रहें हैं या अपने स्वभाव या अंदर की कमियों के कारण संघर्ष कर रहें हैं या किसी और वजह से। लक्ष्य प्राप्ति और कामयाबी मे संघर्ष की बहुत बड़ी भूमिका होती है, जितने भी लोग आजतक कामयाब हुए हैं उन सभी ने संघर्ष किया है।

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